श्री पीयूष कुमार गोयल एक ऐसे प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं जिन्होंने लेखन को केवल एक कार्य नहीं, बल्कि एक साधना बना दिया है। सुई, मेहंदी कोन, कार्बन पेपर जैसे असाधारण माध्यमों से लिखी गई उनकी पुस्तकों ने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। 18 हस्तलिखित पुस्तकों में से कई पुस्तकें वृंदावन शोध संस्थान में सुरक्षित हैं और उनके नाम कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड्स दर्ज हैं। पीयूष गोयल सिर्फ एक लेखक नहीं, बल्कि एक मोटिवेशनल स्पीकर, गणितज्ञ, और समाजसेवी भी हैं। उनकी प्रेरक यात्राओं से आज लाखों युवा प्रेरणा ले रहे हैं। इस लेख में जानिए उनके जीवन, संघर्ष, लेखन विधि और अद्वितीय योगदान के बारे में विस्तार से।
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
श्री पीयूष कुमार गोयल, 10 फ़रवरी 1967 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे। उनके पिता डॉ. देवेंद्र कुमार गोयल और माता रविकांता गोयल हैं।
शिक्षा और पेशा
वे एक यांत्रिक अभियंता (Mechanical Engineer) हैं और वर्तमान में 58 वर्ष के हैं। उनके पास 29 वर्षों का समृद्ध कार्यानुभव है। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने ऐसे कार्य किए हैं जो बहुत कम लोग सोच पाते हैं।
लेखन में अद्भुत उपलब्धियाँ
18 हस्तलिखित पुस्तकें
गोयल ने ईश्वर के आशीर्वाद से अब तक 18 पुस्तकें अपने हाथों से लिखी हैं, जो भारत के नाम को वैश्विक स्तर पर ऊँचा उठाती हैं।
अनोखे लेखन माध्यम
क्या आपने पहले कभी सुना है कि कोई व्यक्ति:
- सुई से
- कार्बन पेपर से
- मेहंदी कोन से
- फ्लूइड पेन से
- फैब्रिक कोन लाइनर से
- आयरन नेल से
पुस्तकें लिख सकता है?
जी हाँ! आपने सही सुना। पीयूष गोयल ने यह सब कर दिखाया है।
प्रमुख कृतियाँ और संग्रहण
- उनकी तीन पुस्तकें वृंदावन स्थित "वृंदावन शोध संस्थान" में संरक्षित हैं।
- उनकी सुई से लिखी गई पुस्तक ने विश्व कीर्तिमान (World Record Association) में नाम दर्ज कराया है।
- लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में उनका नाम दो बार दर्ज हो चुका है।
प्रकाशित पुस्तकें और सम्मान
- अब तक 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
- कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा सम्मानित किया गया है।
अन्य क्षेत्रीय गतिविधियाँ
- क्षेत्रीय स्तर पर क्रिकेट अंपायरिंग में सक्रिय भूमिका निभाई है।
- गणित पर 3 शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
वर्तमान रचनात्मक योगदान
- पत्रिकाओं में लघुकथाएँ लिख रहे हैं।
- एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में निःशुल्क प्रेरणात्मक व्याख्यान दे रहे हैं।
- अब तक 10,000 से अधिक छात्र-छात्राओं को प्रेरित कर चुके हैं।
वर्तमान लेखन कार्य
वर्तमान में वे अपनी 19वीं पुस्तक, अपने प्रिय लेखक रामधारी सिंह दिनकर की कालजयी रचना "रश्मिरथी" को रंगीन पेंसिल से दर्पण छवि में लिख रहे हैं।
प्रसिद्ध कथन
"मैं एक दीया हूँ, मेरा काम है चमकना, हो सकता है मेरी रोशनी कम हो, पर दिखाई बहुत दूर से दूँगा।"
प्रमुख सम्मान और पुरस्कार
- Limca Book of Records (2 बार)
- World Record (World Record Association) – विश्व की पहली सुई से लिखी पुस्तक मधुशाला के लिए
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन अवॉर्ड – 2021
- इंडियन बैस्टीज़ अवॉर्ड – 2021
- Fanatixx Spectrum Award
- Criticspace Literary Award – 2022
- Guest of Honour Title (Best Entrepreneur of
- the Year Award – 2022)
- हिन्द शिरोमणि सम्मान – 2023
- कबीर कोहिनूर सम्मान – 2023
- मुंशी प्रेमचंद समर्पण समाज गौरव – 2024
- राष्ट्रीय गौरव सम्मान – 2024
- 27th International Juno Award – 2024
📰 अख़बारों की सुर्खियों में पीयूष गोयल
- 1. शायरी का इतिहास
- 2. शेर, ग़ज़ल, नज़्म, क़सीदा
- 3. शायरी की रचना
- 4. क़ाफ़िया, रदीफ़ का महत्व
- 5. तख़ल्लुस का मतलब
- 6. उर्दू शब्दों की मिठास
- 7. शायर की पहचान