अरूज़ शायरी का वो नियम है जो यह बताता है कि कोई शेर लय (मीटर) में है या नहीं। जैसे भाषा को सही ढंग से बोलने और लिखने के लिए व्याकरण होता है, वैसे ही शायरी को तरतीबवार और वज़नी बनाने के लिए अरूज़ की ज़रूरत होती है। इसकी मदद से शेर की मात्राएँ, वज़्न और बहर की जाँच की जाती है। अगर कोई शेर अरूज़ के नियमों के अनुसार होता है तो उसे ‘बहर में’ माना जाता है।
हर बहर का एक तयशुदा वज़्न होता है जिसे ‘तफ़ाइल’ कहा जाता है। अरूज़ हमें यह भी बताता है कि कोई शेर किसी तय बहर में है या उसमें कोई तकनीकी ग़लती (ख़लल) है। अगर ग़लती है तो उसे कैसे सुधारा जा सकता है, ये भी अरूज़ सिखाता है।
अरूज़ केवल एक तकनीकी नियम नहीं है, बल्कि यह शायरी की खूबसूरती, गहराई और संगीतात्मकता को सँवारने का तरीका है। यह शायर को बेहतर लिखने में और पाठक को बेहतर समझने में मदद करता है। इसी के ज़रिए शायरी एक सलीकेदार और असरदार कला बनती है।
✍️ अरूज़ क्या है? – परिचय और आवश्यकता
अरूज़ क्या है – यह उर्दू, फ़ारसी और अरबी शायरी का "छंदशास्त्र" है, यानी वह नियम जो किसी शेर या ग़ज़ल की लय, तालमेल और वज़्न निर्धारित करता है।
अरूज़ वही है जो शायरी को एक रचनात्मक लय देता है। जज़्बात हों तो कविता बनती है, लेकिन अरूज़ हो तो वो फन बनती है।
कविता में जैसे छंद, संगीत में राग-ताल, वैसे शायरी में होती हैं बहरें।
📚अरूज़ का अर्थ और परिभाषा
अरूज़ (अरबी: عروض) का शाब्दिक अर्थ होता है: स्तंभ, आधार, या कविता की नींव।
यह शायरी में यह सुनिश्चित करता है कि हर शेर तकनीकी दृष्टि से सही लय में हो।
🎯अरूज़ की आवश्यकता क्यों?
क्यों ज़रूरी है अरूज़ जानना?
- लय और अनुशासन: शायरी का सौंदर्य उसकी लय में है।
- तकनीकी शुद्धता: अच्छा शेर वही जो अरूज़ की कसौटी पर खरा उतरे।
- ग़ज़ल की संरचना: सभी शेर एक जैसी बहर में हों – यही अरूज़ सिखाता है।
- दोषों से बचाव: बिना अरूज़ ज्ञान के शेर त्रुटिपूर्ण हो सकता है।
- परंपरा से जुड़ाव: ग़ालिब, मीर, फ़ैज़ आदि ने इसका पालन किया।
🧠अरूज़ की मूलभूत अवधारणाएँ (Basics)
🔹1. मात्रा (Sound Unit)
- लघु (1 मात्रा) और गुरु (2 मात्राएँ)
- दिल = 2 मात्राएँ (गुरु)
- न = 1 मात्रा (लघु)
- तन्हा = 2 + 2
🔹 2. वज़्न (Meter)
- शेर की ध्वनि-संरचना और मात्राएँ
- दोनों मिसरों में समानता होनी चाहिए
🔹 3. बहर (بحر)
उर्दू शायरी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा – जैसे:
- बहर-ए-हज़ज
मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं - बहर-ए-रमल
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन
कोई उम्मीद बर नहीं आती
🔍 4. बहर का मिलान कैसे करें? (तज़रीब)
- मात्रा गिनकर मिलान करें
- उदाहरण:
कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
🌟 उर्दू शायरी की लोकप्रिय बहरें
🔹बहर-ए-रमल मुसम्मन महज़ूफ़
वज़्न: फाइलातुन ×3 + फा'इलुन
शायर: ग़ालिब
🔹बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मर्क़ब
वज़्न: मस्तफ़इलुन फा'इलातुन मस्तफ़इलुन
शायर: जिगर मुरादाबादी
🔹बहर-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
वज़्न: फा'उलुन ×4
शायर: ग़ालिब
🔹बहर-ए-हज़ज मुसम्मन महज़ूफ़
वज़्न: मफ़ा'ईलुन ×3 + फ़ा'इ
शायर: फैज़ अहमद फैज़
🔹बहर-ए-मदीद मुसम्मन सालिम
वज़्न: फा'ईलातुन ×4
शायर: जौन एलिया
🔹बहर-ए-वाफ़िर
वज़्न: मुफा'लातुं ×4
शायर: हाली
❌ अरूज़ के बिना क्या होता है?
- शेर का वज़्न बिगड़ जाता है
- ग़ज़ल की लय टूट जाती है
- तकनीकी दृष्टि से अधूरा शेर
- उस्तादों के सामने अस्वीकार्य
🎓अरूज़ कैसे सीखें? – सुझाव और अभ्यास
- मात्रा गिनना सीखें
- बहरों की सूची बनाएँ
- तज़रीब करें रोज़
- मीर, ग़ालिब, फ़ैज़ को पढ़ें
- गुलज़ार और जावेद अख़्तर को सुनें
❓FAQ – अरूज़ क्या है
Q1: अरूज़ क्या है और क्यों ज़रूरी है?
उत्तर: यह उर्दू शायरी का छंदशास्त्र है जो शेर की लय और शुद्धता सुनिश्चित करता है।
Q2: क्या अरूज़ के बिना भी शायरी की जा सकती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन तकनीकी रूप से वो अधूरी मानी जाती है।
Q3: "अरूज़ क्या है" को सीखने में कितना समय लगता है?
उत्तर: यदि रोज़ अभ्यास करें तो कुछ महीनों में अच्छी समझ आ सकती है।
Q4: क्या अरूज़ सीखना जरूरी है ग़ज़ल लिखने के लिए?
उत्तर: जी हाँ, ग़ज़ल में सभी शेर एक ही बहर में होने चाहिए, जो अरूज़ से ही संभव है।
Q5: अरूज़ सीखने का सबसे सरल तरीका क्या है?
उत्तर: मात्रा गिनना और तज़रीब का नियमित अभ्यास।
🔚 Conclusion: अरूज़ क्या है?
अरूज़ क्या है – यह समझना हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है जो शायरी में गंभीरता से उतरना चाहता है। बिना अरूज़ के ग़ज़ल सिर्फ भावनाओं का बहाव होती है, मगर अरूज़ उसे एक तकनीकी और कलात्मक ऊँचाई देता है। यह शायरी को "फ़न" बनाता है।
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📌 आगे जानिए:
इस लेख के बाद हम जानेंगे कि बहर और अरूज़ का क्या महत्व है। यह जानकारी नए और पुराने दोनों शायरों के लिए बहुत उपयोगी है।