बह्र का अर्थ होता है छंद, यानी वह मीटर या लयात्मक ढांचा जिसमें किसी शेर को बाँधा जाता है। जैसे हिंदी कविता में छंदों का नियम होता है, वैसे ही उर्दू शायरी में बह्र का नियम होता है। हर शेर एक निश्चित बह्र में लिखा जाता है, जिससे उसकी लय और संगीतमयता बनी रहती है। अगर कोई शेर तयशुदा बह्र से मेल नहीं खाता, तो उसे तकनीकी रूप से ग़लत माना जाता है।
ग़ज़ल में बह्र का विशेष महत्व है क्योंकि यह शायरी को एक तालबद्ध और अनुशासित रूप देती है। बह्र के अनुसार ही शेर की मात्राएँ और शब्दों का क्रम तय होता है। अरूज़, जो शायरी का व्याकरण है, बह्र को मापने का आधार प्रदान करता है।
हर बह्र की अपनी मात्रा और नाम होता है, जैसे बह्र-ए-हज़ज, बह्र-ए-रमल आदि। एक शायर के लिए बह्र की समझ होना उसके फ़न की परिपक्वता को दर्शाता है। बह्र ही वह आधार है जो एक साधारण शेर को एक मुकम्मल और असरदार शायरी में बदल देता है
📝बह्र (छंद) क्या होती है? – बहरों का परिचय
उर्दू शायरी केवल ख़याल और जज़्बात का संसार नहीं है, यह एक संगीतात्मक अनुशासन है, जिसमें हर मिसरे की लय, गति और ताल को बह्र (छंद) नियंत्रित करती है।
जिस प्रकार संस्कृत छंदों में मात्रा और लयबद्धता का ध्यान रखा जाता है, उसी प्रकार उर्दू शायरी में "अरूज़" के अंतर्गत बह्र की संकल्पना आती है।
📖बह्र की परिभाषा
"बह्र" (Arabic: بحر) का अर्थ है — समुद्र, और जैसे समुद्र में लहरों का नियमित प्रवाह होता है, वैसे ही बह्र में मात्राओं और ध्वनियों का संतुलन होता है।
🔹 सरल शब्दों में:
"एक ऐसी निर्धारित मात्रिक संरचना जिसमें शेरों को रचा जाए, उसे बह्र कहते हैं।"
यदि किसी ग़ज़ल के सारे शेर एक ही लय और वज़्न के अनुसार हों, तो वे बह्र में माने जाते हैं।
🔢बह्र का गणित – वज़्न और तक्तीअ
बह्र को जानने के लिए आवश्यक है — तक्तीअ (वज़्न की गणना)। इसमें हर शब्द को टुकड़ों (syllables) में बाँटकर उनकी अरूज़ी मात्राएँ गिनी जाती हैं।
📋मात्रा तालिका:
मात्रा का नाम | वर्णन | मात्रा | चिह्न |
---|---|---|---|
हर्फ़-ए-मुतहर्रिक | चलने वाली ध्वनि | 1 | ● |
हर्फ़-ए-साकिन | रुकी हुई, स्थिर ध्वनि | 2 | ▬ |
हर्फ़-ए-मद्द | लंबा स्वर/खींची ध्वनि | 12/22 | ▬▬▬ |
🔹 इनसे मिलकर बनते हैं रुक्न — बह्र के मूल मीट्रिक ब्लॉक।
एक बह्र आमतौर पर 4 - 4 रुक्न में बंटी होती है।
🧮तक्तीअ का उदाहरण
🔹 शेर:
"दिल में इक लहर सी उठी है अभी"
"कोई ताज़ा हवा चली है अभी"
शब्द | अनुमानित मात्रा |
---|---|
दिल | 2 |
में | 2 |
इक | 2 |
लहर | 12 |
सी | 2 |
उठी | 12 |
है | 2 |
अभी | 12 |
➤ दोनों मिसरों में लगभग समान वज़्न — बह्र तय होती है।
🧭 प्रचलित बह्रों के प्रकार
उर्दू अरूज़ में 32 बह्रें मानी जाती हैं, परन्तु ग़ज़लों में निम्नलिखित सबसे अधिक उपयोग होती हैं:
क्रम | बह्र का नाम | पैटर्न (रुक्न अनुसार) | विशेषता |
---|---|---|---|
1 | बह्र-ए-हज़ज | 212 212 212 212 | भावुक लय, सबसे प्रचलित |
2 | बह्र-ए-रामल | 221 221 221 221 | कोमल, मृदु प्रवाह |
3 | बह्र-ए-मुतदारिक | 1122 1122 1122 1122 | स्पष्ट और गतिशील लय |
4 | बह्र-ए-मुज़ारिअ | 1221 1221 1221 1221 | सूफ़ियाना और रहस्यात्मक लय |
5 | बह्र-ए-सरी | 2212 2212 2212 2212 | छोटी बह्र, सरस शब्दों के लिए |
📜प्रसिद्ध शेर और उनकी बह्रें
✒️उदाहरण 1
"कोई उम्मीद बार नहीं आती"
"कोई सूरत नज़र नहीं आती"
→ बह्र: बह्र-ए-हज़ज मुसम्मन सालिम
→ पैटर्न: 212 212 212 212
✒️उदाहरण 2
"मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का"
"उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले"
— मिर्ज़ा ग़ालिब
→ बह्र: बह्र-ए-मुतक़ारिब
→ पैटर्न: 2121 2121 212
🔍ग़ज़ल और बह्र का रिश्ता
- ग़ज़ल का पहला शेर, जिसे मतला कहते हैं, उसी में ग़ज़ल की बह्र निर्धारित होती है।
- यदि किसी शेर का वज़्न टूटता है, तो वह बह्र से बाहर समझा जाता है — और ग़ज़ल का संतुलन बिगड़ जाता है।
- ग़ज़ल के हर शेर को उसी बह्र में कहा जाना आवश्यक है।
"ग़ज़ल की पहचान उसकी बह्र है; अगर बह्र टूटी — तो ग़ज़ल नहीं, बस विचार रह जाते हैं।"
🧪अभ्यास – क्या आप यह बह्र पहचान सकते हैं?
🔹 शेर:
"तेरे ग़म को अपनी रातों का मुक़द्दर कर लिया"
"जागना था इसलिए काँटों पे बिस्तर कर लिया"
- क्या दोनों मिसरे एक ही पैटर्न में हैं?
- क्या यह बह्र-ए-हज़ज की छाया में है?
➡️ तक्तीअ करके पता कीजिए!
🎯निष्कर्ष – बह्र: शायरी का विज्ञान और संगीत
बह्र कोई बंधन नहीं है, यह सौंदर्य का अनुशासन है।
यह शायरी को केवल पढ़ने नहीं, सुनने और महसूस करने योग्य बनाता है।
"जो शायर बह्र में लिखता है, वह केवल भाव नहीं पिरोता, वह हर मिसरे को तानपुरे की तारों पर साधता है।"
❓FAQ – अरूज़ क्या है?
Q1: अरूज़ क्या है और बह्र कैसे निर्धारित होती है?
उत्तर: अरूज़ क्या है – यह एक छंदशास्त्र है, जो बह्र यानी शेर की लय और वज़्न को निर्धारित करता है।
Q2: अरूज़ क्या है और तक्तीअ में क्या संबंध है?
उत्तर: अरूज़ क्या है – जानने के लिए तक्तीअ यानी वज़्न की गणना आवश्यक होती है।
Q3: अरूज़ क्या है, इसे कैसे पहचाना जाए?
उत्तर: हर शेर की मात्राएँ गिनकर और पैटर्न मिलाकर अरूज़ और बह्र पहचानी जाती है।
Q4: अरूज़ क्या है और क्या बिना इसके ग़ज़ल लिख सकते हैं?
उत्तर: बिना अरूज़ क्या है की समझ के ग़ज़ल की लय बिगड़ सकती है।